उलझन RATNA PANDEY
उलझन
RATNA PANDEYधागे हैं अनेकों बुने हुए,
जो उलझे फिर सुलझते नहीं
लाख सुलझाना चाहो,
चाहे जितना नीर बहाओ,
हाथों से कितना भी सहलाओ,
चाहे जितना जी जान लगाओ
उलझ गए सो उलझ गए।
कोशिश जो कर पाओ
जितना फिर खुल जाए,
लपेट उसे फिर लेना
लगाकर प्यार का लेप,
मांजे में तब्दील उसे कर लेना,
तोड़े से फिर टूटे नहीं
साथ कभी छूटे नहीं।
लपेट प्यार की डोरी
जीवन की पतंग उड़ा लेना,
कहा सुना सब माफ़ करना
दिल का मैल साफ़ करना,
धागे फिर उलझे नहीं,
प्यार से बुने इन धागों को
प्रेम सहित बाँधे रखना।
रंग बिरंगे धागों के संगम से
रिश्ते बुने जाते हैं,
जब भी मिलते हैं आपस में,
रंग एक दूजे पर अपना छोड़ जाते हैं,
मिले जुले इन रंगो से
जीवन को रंगीन बनाए रखना,
प्यार से सजाए रखना।