तुम बिन मेरे गीत अधूरे  Bhanu Pratap Singh Tomar

तुम बिन मेरे गीत अधूरे

Bhanu Pratap Singh Tomar

तुम बिन मेरे गीत अधूरे
कैसे सबको गीत सुनाऊँ,
मैं तो खुद भटका राहों से
कैसे सबको राह दिखाऊँ।
तुम बिन मेरे गीत अधूरे,
कैसे सबको गीत सुनाऊँ।
 

मैं हूँ अधूरा तेरे बिन
तू भी अधूरी मेरे बिन,
कैसे दुनिया को समझाऊँ
कटते पल कैसे गिन-गिन।
तू बन बरसे जो बदली तो
मैं प्यासा सावन बन जाऊँ,
तुम बिन मेरे गीत अधूरे
कैसे सबको गीत सुनाऊँ।
 

बिन जीवन के जिस्म अधूरा
तेरे बिन बस सूनापन,
तपती रेत सा दिल जलता है
कब बरसेगी फिर शबनम।
तू बहती नदिया की धारा
मैं सागर बन तुझे बुलाऊँ,
तुम बिन मेरे गीत अधूरे
कैसे सबको गीत सुनाऊँ।
 

जीवनभर ये प्यास रहेगी
तुमसे मिलन की आस रहेगी,
जिस्म जुदा था तेरा मुझसे
रूह हमेशा साथ रहेगी।
दिल के जख्म बड़े गहरे हैं
कैसे तुमको घाव दिखाऊँ,
तुम बिन मेरे गीत अधूरे
कैसे सबको गीत सुनाऊँ।

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