पहचान! Mohanjeet Kukreja
पहचान!
Mohanjeet Kukrejaएक खोखला सा फ़्रेम
मेरी नाक पर टिकाकर,
मेरे कानों पर चढ़ाकर …
उसमें लगे शीशों को
बदल-बदल कर…
सामने चौकोर से बोर्ड पर
लिखे कुछ हर्फ़ ….
- जो मुझे तक़रीबन
याद हो चले थे -
कई बार पढ़वाकर
आख़िरकार एक पर्चे पर
कुछ लिखते हुए बोले…
‘आप मायोपिक हैं-
दूर की देख नहीं पाते’
हैरान हुआ मैं जानकर
कि आजकल के डॉक्टर
मर्ज़ के साथ-साथ
फ़ितरत भी पहचानते हैं!!