पंचप्राण Satyam Samraat Acharya
पंचप्राण
Satyam Samraat Acharyaजब मुझे पता चला
कि तुम पानी हो,
तो मैं भीग गया
सिर से पांव तक।
जब मुझे पता चला
कि तुम हवा की सुगंध हो,
तो मैंने
एक श्वास में समेट लिया
तुमको अपने अंदर।
जब मुझे पता चला
कि तुम मिट्टी हो,
तो मैं जड़ बनकर
समा गया तुम्हारी गहराई में।
जब मुझे मालूम हुआ
कि तुम आकाश हो,
तो मैं फैल गया शून्य बनकर।
अब मुझे बताया जा रहा है
कि तुम आग भी हो,
तो मैंने खुद को बचा कर रख लिया है
तुम्हारे लिए।