हे कृष्ण! शशांक दुबे
हे कृष्ण!
शशांक दुबेहे कृष्ण!
तुम अवतारी थे,
तुम श्वेत धवल
हो सकते थे,
रंगभेद की बेड़ी को तोड़
काले क्यों हुए,
कृष्ण तुम निराले क्यों हुए?
हे कृष्ण!
तुम परमब्रह्म थे,
श्रेष्ठ ब्राह्मण भी
हो सकते थे,
वर्णभेद की बेड़ी को तोड़
ग्वाले क्यों हुए,
कृष्ण तुम निराले क्यों हुए?
हे कृष्ण!
तुम स्वयं जगदीश थे,
वैभवशाली भी
हो सकते थे,
जातिभेद की बेड़ी को तोड़
रथवाले क्यों हुए,
कृष्ण तुम निराले क्यों हुए?
हे कृष्ण!
तुम जगतगुरु थे,
हाँ सब कुछ
हो सकते थे,
सकल बेडियाँ तोड़ी
निराले यूँ हुए,
हे कृष्ण तुम काले क्यों हुए?
