उसकी भीगी बारिश का  Anil Shukla

उसकी भीगी बारिश का

Anil Shukla

दूर नज़र तक,
अधीर फलक तक,
बेरंग सा पड़ा था
एक ख्वाब,
उसके काले मन में,
बेरंग से सपनों पर
इंतज़ार था
उसकी भीगी बारिश का।
 

मन को टटोलते,
रंगों की फितरत
बदलते,
मानो उतरे
हों कुछ रंग
क्षितिज से अभी-अभी,
जैसे इंतज़ार था
उसकी भीगी बारिश का।
 

इंतज़ार है
कि हो बारिश सपनों की,
मेरे मन की
ऊसर ज़मीन पर,
खुशबू से भर दे
उसके खाली पथ को,
जिस पर
इंतज़ार था
उसकी भीगी बारिश का।

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