वो अपने दिल में कुछ गहरे  Ashutosh Aman

वो अपने दिल में कुछ गहरे

Ashutosh Aman

वो अपने दिल में कुछ गहरे दबाए राज़ बैठी है,
कल जिस मोड़ पर थे तुम वहीं वो आज बैठी है।
 

तुम्हारी याद में खोई है वो इसलिए गुमसुम है,
तुम्हें किसने कहा, पगले! कि वो नाराज़ बैठी है।
 

तुम्हारी हर निशानी को वो अपने पास रखती है,
फिर भी उसे कहते हो धोखेबाज़, बैठी है।
 

तुम्हारा नाम ले-लेकर तुम्हें इतना पुकारा है,
कि अब कुछ कह नहीं पाती है वो आवाज़ बैठी है।
 

भले ठुकरा दिया करती है तुमको पास जाने पर,
मोहब्बत का मगर ये भी है इक अंंदाज़, बैठी है।

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