आधुनिक प्रगति  prachi shrivastava 'urja'

आधुनिक प्रगति

prachi shrivastava 'urja'

मैंने प्रगति की है,
पिछड़े हुए जमाने को, मैंने ही गति दी है,
मैंने प्रगति की है।
 

आज हर किसी के लबों पर
नाम मेरा ही मेरा छाया,
देखो, मेरी ये आधुनिक काया,
क्या हुआ जो किसी कोने मे, मेरी माँ सिसकती है,
मैंने प्रगति तो की है।
 

घर की दहलीज़ पार कर आज
मैंने चाँद पर रखा कदम,
क्या हुआ जो उस घर की
हर एक ईंट आज अकेली है,
कम से कम मैंने प्रगति तो की है।

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