झूठे प्यार का इज़हार Krishn Upadhyay
झूठे प्यार का इज़हार
Krishn Upadhyayकुछ दिनों पहले कोई था जिसने
मुझसे कहा कि तुमसे बहुत प्यार करती हूँ,
तुम्हें नही पता लेकिन तुम पर
और केवल तुम पर ही मरती हूँ।
मुझे लगा की शायद यही वो
शख्स है जिसकी मुझे तलाश थी,
सच पूछो तो वो पगली भी
उन दिनों मेरे लिए खास थी।
लेकिन इस बात का अंदाज़ा
उसे मैंने ज़रा भी ना होने दिया,
अगर वो जगी मेरे ख्यालो में तो
खुद को भी मैंने न चैन से सोने दिया।
सोचा कि चलो देखते है कि वो पगली
कब तक मेरा इंतज़ार कर पाएगी,
या वो भी औरों की तरह किसी
और के पैसे के आगे पिघल जाएगी।
ये आज़माइश इस लिए थी क्योंकि
मुझे पूरा जीवन उसी के संग जीना था,
उसके हिस्से का ग़म भी
मुझे ही हँस-हँस कर पीना था।
कुछ दिन तो लगा कि वो सच में
मुझे अपनी जान से ज़्यादा चाहता है,
वरना ऐसा अपनापन
आजकल कौन निभाता है।
मैंने भी सोचा चलो आज शाम को हम उनके
प्यार पर अपने इज़हार की मोहर लगा देंगे,
उसके जो सपने हैं हम उन सभी
सपनों को हकीकत बना देंगे।
शाम का इंतज़ार था
और वो पल भी आ गया,
लेकिन जब सुना उनके मुँह से कुछ ऐसा
तो पलकों पर अश्कों का बादल छा गया।
उन्हें अब मुझसे लगाव
बकवास लगने लगा था,
क्योंकि उसे कोई पैसे वाला
मुझसे ज़्यादा खास लगने लगा था।
न जाने ये कैसा प्यार था
जो कुछ पल भी रुक नहीं पाया,
वाह मेरे चाहने वाले तूने
अपना प्यार क्या खूब निभाया।
ना जाने उसका वो
झूठा प्यार कहाँ छूट गया,
सच पूछो तो यारों मेरा उसी दिन
से प्यार से विश्वास उठ गया।
अब मेरे यारों तुम सब पूछोगे
कि नाम बताओ वो कौन थी,
जो झूठी मोहब्बत का इज़हार
करके आज तक मौन थी।
मैं तुमसे यही कहता हूँ की मेरी यह कविता पढ़
अंदर से उसकी रूह थोड़ी सी ज़रूर मचल जाएगी,
तुम समझो ना समझो लेकिन
मेरे इशारे को वो ज़रूर समझ जाएगी।