घटा सावन  Premlata tripathi

घटा सावन

Premlata tripathi

निशा चाँदनी ने निखारा नहीं।
दिखा आज चंदा बिचारा नहीं।
छिपा बादलों में कहीं आज वह
घटाएँ घिरी चंद्र तारा नहीं।
अमावस नहीं ऋतु रही सावनी,
बयारें चलीं पर फुहारा नहीं।
छिटक कर छिपी जा कहीं चाँदनी,
मधुर रागिनी का सहारा नहीं।
न सोहे निशा भी कलाधर बिना,
गगन कब सजे यदि सितारा नहीं।

आधार छंद - शक्ति (मापनीयुक्त) मात्रिक छंद

मापनी- 122 122 122 12 (अंकावली)

ल गा गा,ल गा गा,ल गा गा,ल गा (लगावली)

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