गुरु RAHUL Chaudhary
गुरु
RAHUL Chaudharyकर बाँधे पट हीन सा,
बिन धन ज्ञान दीन सा,
पर्ण हीन बेबोध अंकुर सा,
वसुधा की गोद में नन्हा सा।
आया बिन गुण ज्ञान के,
प्रेम के अवयव तेरे तन में,
सींचे तेरे परिवारों ने,
पाला पोसा प्यार भरा तेरे मन में।
तेरे कायाकल्प को
गुरुओं से सरोकार हुआ,
तू बन पाया सानिध्य से
उसका तुझपे उपकार हुआ।
यूँ धीरे-धीरे तुझे तपाकर
गढ़ दी मूरत सांचे में कर,
अवगुण सारे उसने हर कर
रख दिया वसुधा की गोद पर।
कृपा, श्रम तुझपर उनका है,
निज लाल निहित तुझमें है,
थपकी भी प्यारी कुछ गूढ़ है,
हर शिष्य आँख का तारा है।
कर्मों की अमिट छाप से
साकार तू सब काज करे,
गुरु के दिए प्रकाश से
रोशन धरती की गोद करे।