प्राणवायु हिंदी Anupama Ravindra Singh Thakur
प्राणवायु हिंदी
Anupama Ravindra Singh Thakurमेरी भावनाओं की अभिव्यक्ति है हिंदी,
कोटि-कोटि भारतीयों के प्राण हैं हिंदी,
भारतेंदु हरिश्चंद्र जी की वाणी है हिंदी,
स्वतंत्रता की जलती मशाल है हिंदी।
शहीदों की गौरव गाथा है हिंदी,
विदेशी शासन का संहार है हिन्दी,
सुभद्रा की शब्द रूपी तलवार है हिंदी,
महादेवी वर्मा जी का मर्म है हिंदी।
सूरदास का अनुपम वात्सल्य है हिंदी,
मीरा का घनश्याम प्रेम है हिंदी,
महावीर जी की काव्य मंजूषा है हिंदी,
प्रेमचंद जी की संवेदना है हिंदी।
हरिशंकर परसाई जी का व्यंग है हिंदी,
अशोक चक्रधर जी का हास्य है हिंदी,
साहित्यकारों की श्वास है हिंदी,
हम सबका विश्वास है हिंदी।
हिंदुस्तान का ताज है हिंदी,
माँ भारती का श्रृंगार है हिंदी,
भारतीयों की हृदय सम्राज्ञी है हिंदी,
विश्व मंच पर भारत का गौरव गान है हिंदी।
अपने विचार साझा करें
स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से लेकर आज तक हिन्दी ने अपने उत्थान एवं विकास में काफी प्रगति की है। हिन्दी में वार्तालाप करने में लोग अब गर्व महसूस करते हैं। उनमें स्वाभिमान की भावना का संचार होता है। आज़ादी से पहले एवं बाद में भी समय-समय पर हमारे विद्वानों, मनीषियों, कवियों और लेखकों ने हिन्दी में अद्वितीय रचनाएँ प्रस्तुत की हैं और विभिन्न पत्रिकाओं एवं समाचार पत्रों ने हिन्दी के प्रचार-प्रसार में अपनी अहम भूमिका निभाई है। मातृभाषियों की संख्या की दृष्टि से संसार की भाषाओं में चीनी भाषा के बाद हिन्दी का दूसरा स्थान है। हिन्दी हमारे स्वाभिमान एवं अस्मिता की भाषा है।