हिंदी हमारा गौरव Vivek Tariyal
हिंदी हमारा गौरव
Vivek Tariyalहिंदी से हमारा गौरव है, हिंदी से ही सम्मान है,
संस्कृत की बेटी हिंदी, भारत की पहचान है।
पूर्ण वैज्ञानिक भाषा यह, जो बोलो वह लिखी जाती है,
इससे भावों की अभिव्यक्ति अपने लक्ष्य को पाती है।
हिंदी जन-जन की भाषा है, देश का अभिमान है,
हिंदी-आर्य है उपशाखा, अपवादों का नहीं स्थान है।
सूर कबीर मीरा आदि ने इसको समृद्ध बनाया है,
सींचा है अपनी भक्ति से, शब्दों से इसे सजाया है।
मनोभावों की अभिव्यक्ति का हिंदी सर्वोत्तम माध्यम है,
साहित्य सदन की है गरिमा, अपने मूल्यों पर कायम है।
साहित्य है इसका भवसागर, जो चाहो वह मोती चुन लो,
ज्ञान समेटो अपनी गागर में, पुरखों की वाणी सुन लो।
सौंदर्य अनुपम है हिंदी का, व्याकरण इसका संपन्न है,
सरल सहज है बोली इसकी, सुन होता चित्त प्रसन्न है।
हिंदी मात्र भाषा नहीं, हमारी मातृभाषा है,
महसूस करें इसमें गौरव, यही देश से आशा है।
एकता सूत्र में है पिरोती, जन चेतना की कारक है,
हिन्द की पहचान हिंदी, अभिव्यक्ति की उद्धारक है।
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हिंदी भाषा हमारी राजभाषा होने के साथ-साथ जन भाषा भी है। वैश्विक समुदाय का एक बड़ा वर्ग हिंदी बोलता है एवं साल दर साल इस भाषा का प्रयोग करने वालों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। पूर्ण रूप से वैज्ञानिक एवं अपवादविहीन यह भाषा अपने सौंदर्य एवं अभिव्यक्ति कुशलता हेतु प्रसिद्द है। हिंदी भाषा का व्याकरण एवं साहित्य सागर समृद्ध एवं संपन्न है। हम अन्य भाषाओं को अवश्य जानें एवं उनका अध्ययन करें जो कि वैश्विक उन्नति की आवश्यकता है, किन्तु अपनी भाषा को तुच्छ समझना एवं उसे बोलने या लिखने में शर्म महसूस करना अपनी भाषा का अपमान है। हमें चाहिए कि हम जिस प्रकार अपने देश पर गर्व करते हैं उसी प्रकार अपनी मातृभाषा पर भी गर्व का अनुभव करें।