बहना  Pushpendra Singh Bhadauriya

बहना

Pushpendra Singh Bhadauriya

प्रेम, त्याग, सभ्यता, संस्कार का गहना होती है,
बाबा की डाँट और माँ के दुलार सी बहना होती है।
 

कभी गुस्से की लड़ाई कभी प्यार की बधाई है बहना,
कभी अम्मा सी सख़्त कभी बाबा और भाई है बहना,
सपनों का खुला आसमाँ हौसलों की ऊँचाई है बहना,
जन्म का उत्सव तो कभी दुल्हन की विदाई है बहना।
 

भगवान की बनाई सबसे सुंदर कृति, चित्र है बहना,
हमारी हर छोटी बड़ी बात जान ले ऐसी मित्र है बहना,
राखी है, रोली है, पूजा की थाली और मंत्र है बहना,
तुलसी सी पावन है जिससे घर महके वो इत्र है बहना।
 

सबकी खुशियों की खातिर हँसी खुशी फना होती है,
बाबा की डाँट और माँ के दुलार सी बहना होती है।

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