क्या गीत लिखूँ Nitish Kumar Soni
क्या गीत लिखूँ
Nitish Kumar Soniकलम है हाथों में "क्या गीत लिखूँ"
अपनी हार लिखूँ कि तेरी जीत लिखूँ।
अपने नयनों के अश्क़ लिखूँ,
कि तेरे होठों के संगीत लिखूँ।
क्या गजल लिखूँ क्या गीत लिखूँ,
सावन की बरसात लिखूँ
कि सुबह की ठंडी शीत लिखूँ।
निखर जाती है चेहरे की रंगत देखकर तुम्हें,
इसे तेरा रम्य लिखूँ की अपनी प्रीत लिखूँ,
क्या गजल लिखूँ क्या गीत लिखूँ।