भाग्य विडम्बना Rajender कुमार Chauhan
भाग्य विडम्बना
Rajender कुमार Chauhanभाग्य की कैसी विडम्बना है,
साथ रह कर भी हम साथ नहीं,
एक दूसरे के प्रति आशक्त हैं,
फिर भी आपस में कोई बात नहीं।
समय का फेर है या चक्र है,
या भाग्य रेखा हमारी वक्र है,
इसका अनुमान तो मुझे नहीं,
ज्योतिष शास्त्र का ये तर्क है।
घर, परिवार, सब अपना है,
पर किस्मत अपने हाथ नहीं।
टूटा जीवन सुधारना ना आया,
दिल का आँगन बुहारना ना आया,
किसी गैर के घर, घुसपैठ कर,
अपना जीवन संवारना ना आया।
तारों भरी रात, स्याह रात नहीं,
स्वयं हारे हैं हम, ये मात नहीं!
भाग्य की कैसी विडम्बना है,
साथ रह कर भी हम साथ नहीं!