तुम  AMIT Yadav

तुम

AMIT Yadav

हैरान हो तुम या परेशान हो तुम,
समंदर हो प्यार का या बंजर रेगिस्तान हो तुम।
 

राख हो तुम या दहकता शोला हो तुम,
अमावस का अंधेरा हो तुम या प्रकाश का गोला हो तुम।
 

हौंसलों की नाव हो तुम या थकी पतवार हो तुम,
कोई हारी बाज़ी हो तुम या जंग की तलवार हो तुम।
 

एक गुज़रता हवा का झोंका हो तुम या एक उमड़ता तूफान हो तुम,
एक शिकस्त खाई शख्सियत हो तुम या लोगों की दिलो जान हो तुम।
 

एक सुहाना सफर हो तुम या कोई मुश्किल मुकाम हो तुम,
रास्ते की परेशानियाँ हो तुम या कोई खूबसूरत अंजाम हो तुम।
 

एक अनसुलझा सवाल हो तुम या जवाबों की बौछार हो तुम,
किसी समस्या का समाधान हो तुम या कोई बेकार औजार हो तुम।
 

एक खूबसूरत रहस्य हो तुम या कोई नाम गुमनाम हो तुम,
कोई अनकही बात हो तुम या कोई किस्सा सरेआम हो तुम।
 

आसमाँ के टिमटिमाते तारे हो तुम या एक ढलती शाम हो तुम,
एक खूबसूरत समाँ हो तुम या महखाने का आखिरी जाम हो तुम।
 

जीवन संगीत हो तुम या मौत का पहरा हो तुम,
उम्मीद के परिंदे हो तुम या कोई मायूस चेहरा हो तुम।
 

कौन हो तुम, कौन नहीं हो तुम,
तुम कौन हो ये चुनो तुम।

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