पालिथिन हटाओ  B Seshadri "Anand"

पालिथिन हटाओ

B Seshadri "Anand"

क्यों खेल रहे हो प्रकृति से, प्रकृति तो भोली भाली है,
बिना लिए देती है सब कुछ ये जग की रखवाली है।
 

हरे भरे पेड़ों की छाया देती है आराम तुम्हें,
उन्हीं वृक्षों को काटकर आती क्यों नहीं लाज तुम्हें।
 

नष्ट कर रहे धरती की शक्ति पालिथिन को अपनाकर,
जहर घोल रहे प्रकृति में तुम पालिथिन को बढ़ावा देकर।
 

बंद प्रयोग न किया पालिथिन का धरती बंजर हो जाएगी,
त्राहि-त्राहि करेगी दुनिया उपज ना फिर हो पाएगी।
 

रोग ग्रस्त हो जाएगा तन, कैंसर आँख दिखाएगा,
भूखा मर जाएगा मानव अन्न कहाँ से पाएगा।
 

पालिथिन को खाकर पशु भी जीवित न रह सकते हैं,
जल, वायु सब दूषित होती, बोलो कहाँ रह सकते हैं।
 

बड़े-बड़े मिल मालिकों के धंधे शायद इससे ही चलते हैं,
अपने ही वोटों की खातिर नेता कुछ नहीं करते हैं।
 

पालिथिन प्रयोग की समस्या गंभीर आज है बनी हुई,
दरवाजे पर दस्तक देती मौत सामने खड़ी हुई।
 

पालिथिन हटाना यदि है, खुद को भी तुम समझाओ,
थैला लेकर जाओ बाजार में पालिथिन में सामान न लाओ।
 

हम सुधरेंगे युग सुधरेग, हम बदलेंगे युग बदलेगा,
इस सिद्धांत को अपनाओ,
अगर देश बचाना तुमको,
पालिथिन न कभी घर पर लाओ,
पालिथिन न कभी घर पर लाओ।

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