जुनून Mohanjeet Kukreja
जुनून
Mohanjeet Kukrejaनूर बरसता आँखों से, इक प्यार का झरना बहता है,
दिल की बात कहूँ कैसे, ज़ुबाँ पे क़ाबू कहाँ रहता है।
इक तुझ को बस हुई ना ख़बर अपने इस बीमार की,
बर्बाद हुए हम इश्क़ में तेरे, सारा ज़माना कहता है।
अपना तो क्या है, कभी बोल लिए तो कभी रो दिए,
तारीफ़ मगर इस दिल की है चुपचाप हमेशा सहता है।
तुम पर जो गुज़रा ही नहीं उस दर्द को क्यूँकर जानोगे,
जब ख़ुद के आगे महल अपने ही ख़्वाबों का ढहता है।
मरज़ अगर कोई और हुआ फिर भी चारा मुमकिन है,
इश्क़ का एक जुनून ऐसा हर वक़्त जो हावी रहता है।