टीचर Anupama Ravindra Singh Thakur
टीचर
Anupama Ravindra Singh Thakurटीचर हर वक्त होता है टीचर,
चाहे घर हो या बाहर,
कक्षा में हो या मैदान पर,
टीचर हर वक्त होता है टीचर।
कक्षा में चाहता है वह अनुशासन,
वह बोलता रहे और सभी सुनते रहे उसे हर क्षण,
हो जाए अगर कुछ इधर-उधर,
देता है वह उपदेश घंटों अनुशासन पर,
टीचर हर वक्त होता है टीचर।
थका हारा जब पहुँचता है घर पर,
बीवी बच्चों से मिलकर,
नहीं लेता है साँस घड़ी भर,
घर में अस्त-व्यस्त सामान देखकर,
प्रारंभ करता है वह अपना लेक्चर,
टीचर हर वक्त होता है टीचर।
जब यात्रा करता है बस में बैठकर,
पुरुष को बैठा और स्त्रियों को खड़ा देख कर,
देता है स्त्री को जगह स्वयं उठकर,
सबको देता है सबक नैतिक मूल्यों का पालन कर,
टीचर हर वक्त होता है टीचर।
गणेश मंडलों में गणेश उत्सव पर,
लड़के लगाते हैं गाने ऊँची आवाज कर,
नहीं सोचते पलभर, हर किसी को परेशान कर,
तब महोदय पहुँचते हैं हाथ में छड़ी लेकर,
समझाते हैं उन्हें कान पकड़कर,
सचमुच टीचर होता है हर वक्त टीचर।
किसी को तीव्र गति से गाड़ी चलाता देखकर,
बिना जान पहचान ही उसे रोककर,
जीवन का महत्व उसे समझा कर,
महोदय चल देते हैं घर प्रसन्न होकर,
सचमुच टीचर हर वक्त होता है टीचर।
अपनी इच्छाओं का दमन कर,
छात्रों के समक्ष आदर्श उपस्थित कर,
सादा जीवन उच्च विचार अपनाकर,
योग्यता का समर्पण और वफादार बनकर,
बना रहता है वह हर वक्त टीचर,
सचमुच टीचर हर वक्त होता है टीचर।