एक ख्वाहिश Tilak raj saxena
एक ख्वाहिश
Tilak raj saxenaएक ख्वाहिश
जो उसकी भी थी और मेरी भी,
पल दो पल का साथ हो
और हाथों में हाथ हो,
जहाँ और कोई न हो,
थोड़ी मस्ती थोड़ा प्यार हो,
आँखों से आँखे चार हो,
सारा जहाँ ख़ामोश हो,
बस आँखों ही आँखों से बात हो।
धड़कने सुनें दिल की
इक दूजे के पास हो।
इंतजार की यें घड़ियाँ
न जाने कब खत्म होंगी,
इसका इंतज़ार
उसे भी है और मुझे भी,
हर वक्त मिलन की
दुआ है चाहे दिन हो या रात हो।