खास हो ! RAHUL Chaudhary
खास हो !
RAHUL Chaudharyसुनकर मेरी आहों को
आराम दे जाते हो मरहम बन,
कश्तियां निकाल कर
दर्द में अा जाते हो महरम बन।
महसूस का इल्म तुम्हें
क्यों सिर्फ मेरे लिए,
क्या खास हूँ जिक्र में
दुहराता तेरे लिए।
आते नज़र हर पंक्ति में
तुम खड़े पहले मुझे,
क्या शुरू क्या खत्म
भीड़ में ढूँढू बस तुझे।
क्यों मिलता सुकून
रूह को तेरे छाँव में,
है तरसती बेइंतेहा
रूबरू को तेरे पनाह में।
क्यों खास हो
महरम तुम मेरे,
हर दर्द के हो
मरहम तुम मेरे।