दो टूक रोटी  RAHUL Chaudhary

दो टूक रोटी

RAHUL Chaudhary

तेज़ झोंका इक हवा का
गलियों से गुजरता,
सरसराता टकरा गया,
वहीं तो लेटा था बचपन
बंद दरवाजे के उधर,
सो रहे थे कितने घर,
नंग धड़ंग बिखरे पड़े
भूख में सनी चौखटों पर।
 

परत यूँ धूल की
अंगों पर जम गई,
पेट की तलाश में
लिपट मैल की चादर में,
आहटों की शोर में
नींद से जग गए,
कोई शायद दो टूक लेकर
अा खड़ा हो चौखटों पर।
 

तृप्त हो जाएगा मन
पाकर अमृत टूक से,
राहत मिल जाएगी कुछ
कमबख्त भूख को नींद से।
कोई माँ बनकर,
कोई दुत्कार कर,
जैसे भी हो बस अा जाए,
दो टूक लेके चौखटों पर।

अपने विचार साझा करें




0
ने पसंद किया
1135
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com