बताया ही नहीं तुमनें Premlata tripathi
बताया ही नहीं तुमनें
Premlata tripathiविप्रलंभ/उपालंभ शृंगार
दिखाकर स्वप्न नैनों को सजाया ही नहीं तुमने,
बड़े रसिया कहाते हो रिझाया ही नहीं तुमने।
बनी निर्झर झरें अँखियाँ नहीं है चैन ढलके यह,
अधर बोले नहीं कंपित न माने नैन छलके यह,
करूँ मैं रार किससे जब सताया ही नहीं तुमने,
बड़े रसिया कहाते हो रिझाया ही नहीं तुमने।
मधुर संगीत पायल की नहीं भाए सखा मन को,
तुम्हीं शृंगार हो प्रीतम सजाए कौन मधुबन को,
सुनो वह प्रीति की सरगम सुनाया ही नहीं तुमने,
बड़े रसिया कहाते हो रिझाया ही नहीं तुमने।
करे आतुर सदा मन को अमावस रात काली अब,
कलाधर रूप कहते सब दिया है स्नेह खाली अब,
कहीं हो दूज के चंदा बताया ही नहीं तुमने,
बड़े रसिया कहाते हो रिझाया ही नहीं तुमने।
हवाएँ प्रेम की शीतल छुअन जैसे मलय की मैं,
भरोसा कर तुम्हीं पर जो लगा बैठी हृदय को मैं,
लगन मीरा तुम्हें प्यारी जताया ही नहीं तुमने,
बड़े रसिया कहाते हो रिझाया ही नहीं तुमने।
दिखाकर स्वप्न नैनों को सजाया ही नहीं तुमने,
बड़े रसिया कहाते हो रिझाया ही नहीं तुमने।