काश सफर लंबा होता  Sanam Ami

काश सफर लंबा होता

Sanam Ami

काश हम मिले न होते,
काश आपको देखा न होता,
काश सनम ही अँधा होता,
काश सफर लंबा होता।
 

एक बार बता देते आप
तो शायद इतना गम न होता,
हमें छोड़ जाने का
आपका भी मन न होता,
काश सफर थोड़ा और लंबा होता।
 

एक इशारा कर देते तो
जी भर के बात कर लेते,
एक बार बोल देते तो
मन भर कर साथ रह लेते,
बातों का सिलसिला उस वक़्त भी कम न होता,
काश सफर ज़रा सा लंबा होता।
 

आपका हमारा हाल पूछना
आपका हमारी बातें सुनना,
आपका हँस के बाय बोलना,
काश उस पल को वहीं थामना होता,
काश सफर थोड़ा सा लंबा होता।
 

आपका अपनी बातें बताना,
आपका वो अपने हाथ से खिलाना,
खुद धूप में बैठकर मुझे छाँव में बिठाना,
अनजाने में सही पर वो जरूरत में हाथ थामना,
काश आपसे बोलने का एक और लम्हा होता,
काश सफर ज़रा और लंबा होता।

अपने विचार साझा करें




0
ने पसंद किया
996
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com