सज़ा-ए-इश्क़ Tilak raj saxena
सज़ा-ए-इश्क़
Tilak raj saxenaये हुस्न वाले पहले
इश्क़ को हवा दिया करते हैं,
फिर तड़पता छोड़ आशिक़ को
चाहत में अपनी,
उसके के मजे लिया करते हैं,
जाने किस बात की
उसको सज़ा दिया करते हैं।
आशिक़ जब बैचैन हो
दीदार-ए-यार की हसरत में
फोड़ने लगता है सर अपना,
तब जाकर ये
उसकी दवा किया करते हैं।