नर-नारी Tilak raj saxena
नर-नारी
Tilak raj saxenaएक दिन यूँही कलम ने
स्याही से हँस कर पूछ लिया,
बिना मेरे चल सकोगी अकेली?
स्याही हँसी और फिर बोली,
दोनों का वज़ूद है एक-दूजे से,
ना तुम चल पाओगे अकेले
ना मैं चल सकती हूँ अकेली।
दोनों मिल कर जब चलते हैं
तभी वो अफ़साने लिखे जाते हैं,
जो देते हैं दुनियाँ को
और यादगार बन जाते हैं।