एक सवाल  Ravi Panwar

एक सवाल

Ravi Panwar

कभी मिल गए
अगर वो फिर कभी,
उन बेपरवाह सी गलियों में
भटकते हुए,
प्यासी जमीं पर आसमान से एक बूँद
टपकाते हुए,
किताबो में छिपे
कहीं खत बनकर,
चाय की तरह रोज सुबह
एक लत बनकर,
ख्यालो में बिन बुलाए मेहमान सा,
या ख्वाबो में मेरी तरह परेशान सा
कभी मिल गए
अगर वो फिर कभी,
तो पूछना बस एक सवाल,
वो सवाल जिसमें शब्द न हों,
न तेरे लबों को चिलमन हटानी पड़े,
न नज़रों से नज़रें मिलानी पड़े,
और वो समझ जाए
मेरा हाल कैसा है,
वो मिल गए तो अब
सवाल कैसा है,
आज निहार लूँ कि फुर्सत हैं,
फुर्सत से पूछूँगा,
कभी मिल गए
अगर वो फिर कभी।

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