कर्म  Ashutosh kumar jha

कर्म

Ashutosh kumar jha

कल्पनाओं को छोड़कर
कर्म को अपनाना होगा,
विकृत हो रही मनः स्थिति
पर काबू पाना होगा।
 

बहक रहे हैं सभी के कदम,
फैल रहा जीवन में अंधकार,
खाली समय में अंतःमन
को झकझोरना होगा,
कल्पनाओं को छोड़कर
कर्म को अपनाना होगा।
 

संगत के संस्कारों से
खुद को बचाओ ऐ दोस्त,
बिगड़ती हुई व्यवस्थाओं को
फर्ज से सुधारो ऐ दोस्त,
सबको मूल मंत्र अपनाना होगा,
कल्पनाओं को छोड़कर
कर्म को अपनाना होगा।
 

अलविदा करो बुरे स्वप्न को
अच्छे ख्वाब दिखाओ मन को,
आँखों में बस रहे कुछ सपने
तुम्हारे ही तो हैं,
पवित्र कर्मों से पूरा करना होगा,
कल्पनाओं को छोड़कर
कर्म को अपनाना होगा।

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