अंतर्जातीय विवाह Rajender कुमार Chauhan
अंतर्जातीय विवाह
Rajender कुमार Chauhanअंतर्जातीय शादी ने सबको आपस में जोड़ दिया,
जात-पात, भेद-भाव के रंगों को पीछे छोड़ दिया,
ये त़िलिस्म है तकनीकी और बेहतरीन ता़लीम का,
जिसनें रिवाज़ों की ज़र्ज़र दीवारों को तोड़ दिया।
अन्तर्राष्ट्रीय गुलशन की ये छवि छठा ही न्यारी है,
पढ़े लिखे क़ाबिल लोगों की दिखती अलग क्यारी है,
प्रेम प्यार से गुस्से को भी इन्हें निभाना आता है,
बहुरंगी सतरंगी सोच ये लोकल रंग पर भारी है!
इसी सोच ने सामाजिक चेहरे का मुँह मोड़ दिया,
जात-पात, भेद भाव के रंगों को पीछे छोड़ दिया।
सबक ज़माने को अब इस नई पीढ़ी का पैग़ाम है,
रिय़ाया है सब यहाँ ना कोई राजा या निज़ाम है,
हक़ है सबको यहाँ चैन से रहने और जीने का,
इन्कलाब़ ही वरना अब ज़ोर ज़बरदस्ती का अंजाम है!
नये खूँ ने तो क़ायदे की किताब़ को ही मरोड़ दिया,
जात-पात, भेद भाव के रंगों को पीछे छोड़ दिया।
आँखें खोलो! रूढ़िवादी सदी बीसवीं गुज़र गई,
कौम धर्म की कटुता से तो मानवता भी सिहर गई,
कुँए के ये मेंढ़क तो बस टर्र-टर्र करते रह जाएँगे,
कद़मताल कर दुनिया हमसे आगे निकल गई!
नई नस्ल के युवाओं ने तो आत्मा को झँझोड़ दिया,
जात-पात, भेद भाव के रंगों को पीछे छोड़ दिया!