अंकित आकाँक्षा  Rajender कुमार Chauhan

अंकित आकाँक्षा

Rajender कुमार Chauhan

तुम प्रेरणा दो प्रीत की मैं बनके मीत प्यार दूँ,
ढ़ालके स्वरों को लय में मन के गीत उभार दूँ।
 

प्यार के मैं सुर बनूँ लय में स्वर तुम साज़ दो,
भावनाओं को मेरी अपनी मधुर आवाज़ दो,
तुम प्रेरणा दो संगीत की मैं वाद्य में उतार दूँ,
ढ़ालके स्वरों को लय में मन के गीत उभार दूँ!
 

प्रेम के प्रसंग में सौ जीवन तुम पर वार दूँ,
रास रंग, स्वाँस संग मैं आत्मिक दुलार दू़ँ,
तुम प्रेरणा दो रीति की मैं सर्व सु़ख संसार दूँ,
ढ़ालके स्वरों को लय में मन के गीत उभार दूँ!
 

कवि हृदय में समा कर तुम मेरी कविता बनो,
सबके मन में बहती शब्दों की सरिता बनो,
तुम प्रेरणा दो जीत की मैं प्राण भी निसार दूँ,
ढ़ालके स्वरों को लय में मन के गीत उभार दूँ!
 

नव जीवन देकर मेरे सौभाग्य को संवार दो,
एक बार दिल से बस दिल को मेरे निहार दो,
प्रेरणा दो मनमीत की बाँहों के मैं भी हार दूँ,
ढ़ालके स्वरों को लय में मन के गीत उभार दूँ!

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