नव वर्ष Vijay Harit
नव वर्ष
Vijay Haritइस नव वर्ष के स्वागत को
धरती के प्राणी उत्सुक हैं,
आ जाओ अब तुम आ जाओ
हम कब से पंथ निहार रहे।
शिशिर ऋतु की शीतलता
बह रही है मंद सुगंध यहाँ,
इस नूतन वर्ष आगमन पर
हम भी कुछ नई प्रतिज्ञा लें।
स्नेह प्यार के बंधन में
जन्मों-जन्मों तक बंधे रहे,
सुख में दुख में हर मौसम में
स्नेह सदा यूँ बना रहे।
जाती पाती और संप्रदाय
सब मतभेदों को भूले हम,
धरती पर रामराज्य आए
हम एक सूत्र में बँध जाएँ।