देखो देखो ठंडी है आई VIKAS UPAMANYU
देखो देखो ठंडी है आई
VIKAS UPAMANYUदेखो-देखो ठंडी है अब आई
कर आई वो गर्मी की विदाई,
कर दिया सूरज को भी नम
चारों तरफ देखो कैसी धुन्ध छाई।
एक तो ठण्ड ऊपर से तेरी जुदाई
नहीं मुझ से अब सही जाई,
क्यों गई तू छोड़ मायके
तेरे बिना नींद मुझे ना आई।
आजा अब तू लौटकर
क्यों बैठी है मुह मोड़कर,
छेड़ रही है मुझको
तेरी यादों कि पुरवाई।