हाँ मैं चालक हूँ  Deeksha Dwivedi

हाँ मैं चालक हूँ

Deeksha Dwivedi

हाँ मैं चालक हूँ,
मैं रेल की महिला चालक हूँ।
 

जब शुरू हुई ये यात्रा थी
अनजान थी मैं इन राहों से,
जिनसे गुज़र के अब रोज चलूँ
पहचान ना थी उन गाँवों से,
लाखों हज़ारों मुसाफ़िरों की
मंज़िल की मैं नायक हूँ,
हाँ मैं चालक हूँ,
मैं रेल की महिला चालक हूँ।
 

सबने बोला है कठिन डगर
ना होगा तुमसे तय ये सफ़र,
तू लड़की है कमजोर है तू
ये काम है तेरी छवि से इतर,
सबको जवाब था मेरा बस
मैं जानूँ कि मैं किस लायक हूँ,
हाँ मैं चालक हूँ,
मैं रेल की महिला चालक हूँ।
 

जब गाड़ी लेट हो जाने से
प्रोग्राम किसी का बिगड़ता है,
चालक है बंधा किन नियमों से
नहीं बात वो ये समझता है,
घर में जो उनकी राह तके
उनकी नज़र में मैं खलनायक हूँ,
हाँ मैं चालक हूँ,
मैं रेल की महिला चालक हूँ।
 

जब चक्के के नीचे आके
सहसा कोई मर जाता है,
वो मानव हो या पशु कोई
मन मेरा मुझे दुत्कारता है,
उस पीर में मैं भी सांझी हूँ
बिन छूरी संग मैं घायल हूँ,
हाँ मैं चालक हूँ,
मैं रेल की महिला चालक हूँ।
 

जब रेल के पिछले डिब्बे में
मैं बैठ सवारी करती थी,
आगे चालक की क्या स्थिति
कल्पना भी ना कर सकती थी,
कैसे धूप अँधेरे कोहरे से वो रोज लड़े,
उस जंग से अब मैं वाक़िफ हूँ,
हाँ मैं चालक हूँ,
मैं रेल की महिला चालक हूँ।

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