अंदर की तन्हाईयाँ नहीं जाती VIVEK ROUSHAN
अंदर की तन्हाईयाँ नहीं जाती
VIVEK ROUSHANहर किसी से दिल की बात कही नहीं जाती,
दर्द गर हद से बढ़ जाए तो सही नहीं जाती।
रास्तों पर चलते-चलते हमसफ़र छूट जाते हैं,
पर न जाने क्यों जेहन से उनकी यादें नहीं जाती।
उपवन में खिले फूल गर टूट जाते हैं,
फूलों के टूट जाने से उपवन की महक नहीं जाती।
ये जो इश्क़ है, इसका मज़ाज़ कुछ ऐसा ही है,
जो इसे समझ जाए ये इश्क़ उसी को दर्द दे जाती।
रोज़ रातों को अपनी पलके मूँदता तो हूँ,
पर अब मुझे पहले जैसी नींद नहीं आती।
किसी इंसान के अंदर तन्हाईयाँ जब घर कर लेती हैं,
तो लाख खुशी आए, पर अंदर की तन्हाईयाँ नहीं जाती।