चार पक्तियाँ ज़िन्दगी की - 1 prachi shrivastava 'urja'
चार पक्तियाँ ज़िन्दगी की - 1
prachi shrivastava 'urja'हर एक चेहरे पर सौ-सौ आवरण देखे हैं,
ख्वाहिशों के चक्कर में आत्माओं के मरण देखे हैं,
फिर भी चलो माना कि हर एक के अन्दर राम बसते हैं,
सच कहूँ, मैंने बहुत कम हृदय में लक्ष्मण देखे हैं।