आज की बात  अभय आर्य

आज की बात

अभय आर्य

आज के समय में, यह आज की ही बात है,
देशभक्तों का कोई नाम ना जाने, देशद्रोही सभी विख्यात हैं।
 

यह आज की विडंबना है, यह आज के ही हालात हैं,
हर एक शेर पर, अनेक भेड़िए लगाए बैठे घात हैं।
 

आज का ये वाकिया है, आज ही यहाँ जात पात है,
इस धर्मनिरपेक्ष राज्य में, धार्मिक दंगे भड़कते रातों रात हैं।
 

आज यहाँ कायरता है, आज यहाँ पर होता मातृभूमि क्षय है,
किसी बहन का हो दमन अंधेरे में, पुकार सुनकर लगता प्रेतों का भय है।
 

आज आर्य हो गए हैं विदेशी, आज अंग्रेज बन गए महान हैं,
इतिहास का विश्वगुरु आर्यवृत आज बन गया जीवित मृतकों का शमशान है।
 

आज देश बना है गाँधीवादी, आज बिस्मिल, भगत की रही कुछ औकात नहीं,
"अहिंसा परमो धर्मो" तो रट लिया, "धर्मेहिंसा तदैव च" इनको ज्ञात नहीं।
 

आज "आयरन लेड़ी" का बखान है, आज रानी झाँसी का सम्मान नहीं,
भारत की धरोहर पर जींवे, भारतीयता पर इन्हें अभिमान नहीं।
 

आज है नव निर्माण की बात, आज कहें नर नारी में भेद नहीं,
सड़कों पर कुछ जो सोते हैं, वो मरे इसमे कोई खेद नहीं।
 

ऐसे शांतिप्रिय नहीं, हम विद्रोही सच्चे हैं,
हमें पागल ही रहने दो हम पागल ही अच्छे हैं।

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