अबकी बरस की होली  Deeksha Dwivedi

अबकी बरस की होली

Deeksha Dwivedi

अबकी बरस ऐसी होली हो
हर घर में हँसी ठिठोली हो।
वो जो सड़क किनारे सोते हैं
जिन्हें राही रंग में भिगोते हैं,
उनके तन पे भी बिस्तर खोली हो
तब मानो की होली हो,
अबकी बरस ऐसी होली हो।
 

रण में लाल लहू से खेले लाल किसी का,
लाल बिंदिया तके उनकी राह कहीं,
किसी माँ की गोद ना खाली हो,
बेरंगी ना कोई दुल्हन नई नवेली हो,
अबकी बरस ऐसी होली हो।
 

जहाँ बेटे पे जान छिड़कते हैं
बेटी को अभिशाप समझते हैं,
ऐसी सोच दहन करे वो टोली हो,
तो समाज में सुरक्षित भोली हो।
अबकी बरस ऐसी होली हो,
हर घर में हँसी ठिठोली हो।

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