क्यों बेरंग पड़े हो Vandana Namdev Verma
क्यों बेरंग पड़े हो
Vandana Namdev Vermaरंगो का मौसम है, रंगों का ही खुमार है,
रंग उड़ा लो थोड़ा-सा, क्यों बेरंग पड़े हो।
लाल, पीला, हरा, गुलाबी या हो केसरिया,
रंग जाओ फिर प्रीत में, क्यों बेरंग पड़े हो।
रंगीन नजारा दुनिया का रंग-रंग के लोग,
दूर खड़े होकर रंगों से, क्यो बेरंग पड़े हो।
होली है हमजोली है, रंगों की ही बोली है,
सुनो रंग क्या कहते हैं, क्यों बेरंग पड़े हो।
छोड़ उदासी को पीछे, आगे कदम बढ़ाओ,
जीवन में कुछ रंग भरो, क्यों बेरंग पड़े हो।