क्या बात करूँ आज़ादी की Anjali Bhardwaj
क्या बात करूँ आज़ादी की
Anjali Bhardwajआज़ादी की क्या बात करूँ
क्या बात कहूँ आज़ादी की,
हर रोज़ सीमा बदलती है
हर रोज़ गरिमा बदलती है।
जिसको मिली बिन मूल्य आज़ादी
अमूल्य आज़ादी वो क्या जानें,
देश विरोधी बातें कर
वो अपनी गरिमा को माने।
जला इंसान को खुद इंसान
हैवानों से हैवान बने,
काहे की आज़ादी भाई
वो मानसिक रोगी है।
जो गाली दे शहीदों को
जो राजे माने कुत्तों को,
कैसे कहो आज़ादी भाई
वो मानसिक बेआज़ादी है।