ख्वाब Rajat Sharma
ख्वाब
Rajat Sharmaकुछ अधूरे से ख्वाब हैं मेरी इन आँखों में,
ना जाने इनको किसका इंतज़ार है
ना जाने किसकी तलाश है।
मै तो मान गया हूँ तुम अब नहीं आने वाले,
मगर ये कम्बख्त ख्वाब हैं कि मानते नहीं।
लगता है इन्हें जैसे भ्रम है आसमान से ज़मीन के मिलने का,
के जैसे इन्हें अधूरा रहना ही मंज़ूर हो लेकिन मरना नहीं।
जैसे बच्चों को लालच देकर
उनका दिमाग किसी तरफ से हटा देते हैं,
कुछ इसी तरह इन ख्वाबों ने
मेरी आँखों पे लालच की पट्टी सी बाँध दी है।
मैं असलियत तो जनता हूँ मगर
उसे देखना नहीं चाहता,
क्योंकि ये ख्वाब इतने खूबसूरत हैं कि इनके मुक्कम्मल
होने भर के एहसास से ही मैं खुश हो जाता हूँ,
पागल हो जाता हूँ ... कि शायद क्या पता
थोड़ा और इंतज़ार कर लूँ तो ये सच हो जाएँ।
शायद ये ख्वाब ही हैं जो मुझे तुम्हारा इंतज़ार करने की
प्रेरणा देते हैं और मेरे अंदर की रौशनी को बुझने नहीं देते,
समझ नहीं आता है कि ख्वाब बुरे हैं जो मुझे
एक अधूरी मंज़िल की राह दिखा रहे हैं
या फिर अच्छे जो मुझे तुम्हारे लिए रुकने की
ताक़त देते हैं...मेरा हौसला नहीं टूटने देते।
जो भी है, ये ख्वाब ही तो हैं जो हमे ज़िंदा रखते हैं,
हमे अंदर से मरने नहीं देते ...टूटने नहीं देते,
जब हर तरफ से सब कुछ खत्म लगता है
तब एक ख्वाब ही तो होता है
जिसकी वजह से लगता है कि अभी भी कुछ बाकी है
कुछ कर गुज़र जाने का जूनून भर देते हैं।
तो आप सब से गुज़ारिश है कि ख्वाबों से डरिये मत,
उन्हें देखिए उनका पीछा भी करिए,
उनके सच होने की सोच भी रखिये।
ना जाने कब कौन सा ख्वाब
आपकी हक़ीक़त बनकर आपका इंतज़ार कर रहा हो।