कर्म पुजारी Vinay Kumar Kushwaha
कर्म पुजारी
Vinay Kumar Kushwahaहैं अकर्मी वही इस जग में,
जो मेहनत से पीछे भागे हैं,
बनते हैं जो कर्म पुजारी,
रहते वे सबसे आगे हैं।
आलसी, निठल्ले क्या कुछ पाएँ
पाएँ वे जो हर पल जागे हैं,
हर पतंग चूम ले नभ को,
गर मजबूत उसके धागे हैं।
कर्म कुशलता हासिल जो कर ले,
कदमों में हर एक माँगे हैं,
कर्मठ की होती है पूजा,
नाम पर बजते डागे हैं।
वे छू रहे बुलन्दियों को,
जो नींद-चैन को त्यागे हैं,
मरकर भी अमर हैं वे,
जलती उनके नाम की चिरागें हैं।