मैं एक मजदूर हूँ  SHASHANK KUMAR

मैं एक मजदूर हूँ

SHASHANK KUMAR

मजदूर हूँ, मजदूर हूँ,
आराम से कोसों दूर हूँ,
हृदय से कोमल
शरीर से कठोर हूँ,
मैं एक मजदूर हूँ।
 

जठराग्नि बुझाने को
अग्नि-सी किरणों से लड़ता हूँ,
हाथ फैलाता नहीं
भुजबल पर करता गुरूर हूँ,
मैं एक मजदूर हूँ।
 

मैं भी देश निर्माता हूँ,
पुल, सड़क, स्कूल बनता हूँ,
गर्मी की लू, सर्दी की शीत लहरी,
करती है मात मुझे,
पर इनसे लड़ता जरूर हूँ,
मैं एक मजदूर हूँ।
 

भाग्य के भरोसे बैठता नहीं
मेहनत से भाग्य बदलता हूँ,
न दया का पात्र समझो
न ही मैं मजबूर हूँ,
मैं एक मजदूर हूँ।
 

श्रम से जो पाता हूँ, बहुत है,
थोड़ी इज़्ज़त की ख्वाईश रखता हूँ,
सपने सजाता मैं भी हूँ पर
अभाव में उन्हें होने देता चूर हूँ,
मैं एक मजदूर हूँ।

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