सब में हैं एक ईश समाया  SHIV VIBHUTI NARAYAN

सब में हैं एक ईश समाया

SHIV VIBHUTI NARAYAN

सब में है एक ईश समाया,
सागर में अथाह भरा जल,
नदियों में भी भरा है जल,
तलाबों में भी भरा है जल।
 

नहरों में भी भरा है जल,
नालों में भी भरा है जल,
झरनों का अस्तित्व है जल,
नाम बनावट आकार अलग।
 

नहीं है इनमें कोई घमण्ड,
जितना मिला उसी में मगन,
जब भी मिलते होकर प्रसन्न,
इनका अस्तित्व जल ने बनाया।
 

मानव क्यों अवगुण अपनाया,
जब आत्मा है सब में समाया,
सबको एक आकार बनाया,
एक जैसा सर और पेट बनाया।
 

एक जैसा हाथ और पैर बनाया,
एक ही भूख एक प्यास बनाया,
एक ही दिल एक रक्त बनाया,
किसने जाति और धर्म बनाया।
 

ब्राह्मण, वैश्य, शूद्र और क्षत्रिय बनाया,
छोटा बड़ा और अहं अपनाया,
हमने तो अपनत्व भुलाया,
प्रेम प्यार और स्नेह भुलाया।
 

कर्म भूल उन्मार्ग अपनाया,
सब एक दिन अर्वट बन जाना,
ईश्वर ने यही एक सत्य बनाया,
सबमें है एक ईश समाया।

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