कुछ कहता है गुलाब SANTOSH GUPTA
कुछ कहता है गुलाब
SANTOSH GUPTAतुम मुझे बेशक समझती हो,
पर उसे क्यों नहीं समझ पाती हो,
तुम मेरी खुशबू में पागल हो और वो तुम्हारी खुशबू में,
तुम मुझे अपने सीने से लगाती हो,
और उसे न जाने क्यों तड़पाती हो,
खुबसूरत तो हूँ मैं पर
काँटो के साथ भी तुम मुझे अपनाती हो।
चुभता है वो भी कभी प्यार में माना,
फिर उसे पाकर क्यों पछताती हो।