थामकर अँगुली SANTOSH GUPTA
थामकर अँगुली
SANTOSH GUPTAथामकर अँगुली चलते हैं,
अकेले चलने से
शायद पापा डरते हैं।
कभी आँसू नहीं देखा
आँखों मे उनके,
पापा हरदम हँसते हैं।
घर देर से आते हैं
सुबह जल्दी चले जाते हैं,
पापा कितने गंदे हैं।
मेरे जूते बिल्कुल नए हैं,
और पापा घिसे हुए चप्पल पहनते हैं,
उनके चश्मे तो,
मेरे चश्मे से भी सस्ते हैं।
मेले जाते हैं पापा जब संग,
कपड़े नए नहीं पहनते हैं,
मेरी खबर तो हरदम लेते हैं,
खुद कब सोते और कब जगते हैं।
कुछ कहते नहीं पापा,
क्या वो दुलार नहीं करते हैं,
पापा ऐसे क्यों होते हैं,
पापा ऐसे क्यों होते हैं।