तलाश SUBRATA SENGUPTA
तलाश
SUBRATA SENGUPTAढूँढ़ता हुआ किसी शहर में,
थी जो मेरे मन मंदिर में,
दीवाना हूँ तेरे नाम से,
खोज रहा हूँ उसी शहर में।
ख़ाक छान कर फिर रहा हूँ मैं
उस शहर की तेरी खबर में,
पता जिससे भी पूछता हूँ
अजनबी तू उसकी नज़र में।
मैं दर-ब-दर एक आशिक़ हूँ
ठोकरों से भरे सफर में,
हवा में खुशबू घुल रही है
तेरी यादों के अम्बर में।