संधि-विच्छेद SANTOSH GUPTA
संधि-विच्छेद
SANTOSH GUPTAआज पत्नी के साथ,
कुछ अलग अंदाज मे रोमांस कर रहा था।
फलों के नाम का संधि विच्छेद करके,
दोनों को नाम दे रहा था।
जैसे - तुम मेरी नारी, मैं तुम्हारा यल,
तुम मेरी सीता, मैं तुम्हारा फल।
तुम मेरी नार मैं तुम्हारा अंगी,
तुम मेरी मौस मैं तुम्हारा अंबी।
तुम मेरी शह, मैं तुम्हारा तूत,
तुम मेरी तर, मैं तुम्हारा बूज।
तुम मेरी अना, मैं तुम्हारा नस,
ऐसे ही चल रहा था प्यार का रस।
अब तक चल रहा सब कुछ ठीक,
आ रहा था नाम फलों का सटीक।
देखते ही देखते
रोमांस बवाल में तब्दील हो गया,
फलों की श्रृंखला में,
एक ऐसा नाम शामिल हो गया।
संधि विच्छेद का भूत उतर गया,
रोमांटिक होना कसूर हो गया।
क्या बताऊँ वो आपबीति,
जब अगला फल था नाशपती।
रोमांस करना महंगा पड़ गया,
फल खाकर ही रहना पड़ गया।
रोमांस करते-करते भाव-भेद हो गया,
अपनी भी संधि का विच्छेद हो गया।