साथ अपनों का  Premlata tripathi

साथ अपनों का

Premlata tripathi

मन खोजता है साथ अपनों का,
उड़ान यह रंग भरे सपनों का।
 

नील अँबर तले ढूँढ़ता किसको,
गोद बादलों की ले गया मुझको,
छू सकी क्या मैं उमगते भाव को,
डूबता पतवार लेकर नाव को,
अश्रु से भीगता कोर नयनों का,
मन खोजता है साथ अपनों का।
 

सजाकर रख लिया कुछेक मन में,
आशाओं के इस जर्जर तन में,
अतीत रुलाता क्यों मुझे है आज,
छूटते देखा जहाँ संग साथ,
संग्रह भूले बिसरे कथनों का,
मन खोजता है साथ अपनों का।
 

श्वासें रुक जाती शून्य गहर में,
डूब रहे हम नित ही भंवर में,
करूँ नमन उषा से चल सांध्य का,
है अतीत भी अपना प्रतीक बन,
महके यह उर विलास गहनों का,
मन खोजता है साथ अपनों का।
 

मन खोजता है साथ अपनों का,
उड़ान यह रंग भरे सपनों का।

अपने विचार साझा करें




0
ने पसंद किया
1085
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com