मित्रों को समर्पित  Vivek Tariyal

मित्रों को समर्पित

Vivek Tariyal

मित्र के हित जग लुटाना मित्रता का मर्म है,
यही है ईश्वर की पूजा, यही मानव धर्म है।
 

दो अक्षर का शब्द "मित्र", जीवन का बड़ा सहारा है,
साहस है जीवन पथ का, उम्मीदों का उजियारा है।
 

बिना कहे जो समझ जाता मन भीतर के तूफ़ान को,
संयम पाठ पढ़ाकर, शांति देता मनः उफ़ान को।
 

खुशियाँ हो जाती हैं दुगनी, मित्रों के जीवन में होने से,
यश वैभव भी रास न आता उनको जीवन में खोने से।
 

कभी भाई है कभी पिता, कभी वह माँ बन जाता है,
धारण करता रूप अनेक, स्थिति विकट जब पाता है।
 

निस्वार्थ भाव उसमें अदम्य, हर बाधा को चुनौती देता है,
आने वाले संकट को वह निज कन्धों पर लेता है।
 

जीवन समर की राह में वह हमेशा साथ है,
मैं अर्जुन वह कृष्ण है, उसपर मुझे विश्वास है।
 

जब कुटुंब भी साथ न हो, वह प्रेरणा स्रोत है,
उसके अटल विश्वास से, आँधी में जलती ज्योत है।

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